सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

किसने बनवाई 'पहली बार' श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की मूर्ति और क्यों ?

भगवान श्रीकृष्ण ने यदुवंश के राजा श्रीसत्राजित की कन्या श्रीमती सत्यभामा जी से विवाह किया था। वही सत्यभामा जी, भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की लीला में श्रीमती विष्णुप्रिया जी के रूप में आईं व राजा सत्राजित, श्रीमती विष्णुप्रिया जी के पिताजी श्रीसनातन मिश्र के रूप में प्रकट हुए।


आप बचपन से ही पिता-माता और विष्णु-परायणा थीं। आप प्रतिदिन तीन बार गंगा-स्नान करती थीं। गंगा-स्नान को जाने के दिनों में ही शचीमाता के साथ आपका मिलन हुआ था। आप उनको प्रणाम करतीं तो शचीमाता आपको आशीर्वाद देतीं।


आपके और भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के विवाह की कथा को जो सुनता है, उसके तमाम सांसारिक बन्धन कट जाते हैं।

श्रीमन्महाप्रभु जी के द्वारा 24 वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण करने पर आप अत्यन्त विरह संतप्त हुईं थीं।

आपने अद्भुत भजन का आदर्श प्रस्तुत किया था।


आप मिट्टी के दो बर्तन लाकर अपने दोनों ओर रख लेतीं थीं। एक ओर खाली पात्र और दूसरी ओर चावल से भरा हुआ पात्र रख लेतीं थीं। सोलह नाम तथा बत्तीस अक्षर वाला मन्त्र (हरे कृष्ण महामन्त्र) एक बार जप कर एक चावल उठा कर खाली पात्र में रख देतीं थीं।  इस प्रकार दिन के तीसरे प्रहर तक हरे कृष्ण महामन्त्र का जाप करतीं रहतीं और चावल एक बर्तन से दूसरे बर्तन में रखती जातीं। 

इस प्रकार जितने चावल इकट्ठे होते, उनको पका कर श्रीचैतन्य महाप्रभु
की को भाव से अर्पित करतीं। और वहीं प्रसाद पातीं।

कहाँ तक आपकी महिमा कोई कहे, आप तो श्रीमन्महाप्रभु की प्रेयसी हैं और निरन्तर हरे कृष्ण महामन्त्र करती रहती हैं। 

आपने ही सर्वप्रथम श्रीगौर-महाप्रभु जी की मूर्ति (विग्रह) का प्रकाश कर उसकी पूजा की थी।


कोई-कोई भक्त ऐसा भी कहते हैं --- श्रीमती सीता देवी के वनवास काल में एक पत्नीव्रती भगवान श्रीरामचन्द्र जी ने सोने की सीता का निर्माण करवाकर यज्ञ किया था, पर दूसरी बार विवाह नहीं किया था। श्रीगौर-नारायण लीला में श्रीमती विष्णुप्रिया देवी ने उस ॠण से उॠण होने के लिए ही श्रीगौरांग महाप्रभु जी की मूर्ति का निर्माण करा कर पूजा की थी। 

श्रीमती विष्णुप्रिया देवी द्वारा सेवित श्रीगौरांग की मूर्ति की अब भी श्रीनवद्वीप में पूजा की जाती है।

श्रीमती विष्णुप्रिया देवी जी की जय !!!!!!

आपके आविर्भाव तिथि पूजा महामहोत्सव की जय !!!!!! (आपकी आविर्भाव तिथि कल है)

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