बुधवार, 31 अगस्त 2016

भारत की आदर्श हिन्दु नारियां

भारत देश तो विलक्षणताओं का देश है। इस देश की नारी भी किसी से कम नहीं है। 

भारतीय नारी सर्वदा आदर्श-प्रिय रही है और उसने हमेशा ही अपने आदर्श का सरंक्षण किया है। क्या घर और क्या बाहर, क्या मनोरंजन तो क्या राजनीति, जिस क्षेत्र को भी उसने अपनाया, वहीं पर इसने अपने आदर्श, त्याग और तपस्या से अपनी छवि की अमिट छाप छोड़ी। संस्कारवश, शास्त्रों की आज्ञा के अनुसार चल कर एक जहाँ इसने एक आदर्श गृहिणी और आदर्श पत्नी के रूप में अपने को दर्शाया, वहीं ज़रूरत पड़ने पर इसने अपने कोमल हाथों में तलवार सम्भालने वाली छवि को भी दर्शाया। यही नहीं, भगवान का भजन कैसे करना है, इसके उदाहरण को प्रस्तुत करने में भी पीछे नहीं रही।

भारतीय नारी की उन गाथाओं को सुनकर आज भी रोमांच हो उठता है। 

देश और धर्म की रक्षा के लिये किये गए ऐसे अमर बलिदानों में वीरपुत्री अहिल्याबाई, महारानी पद्मिनी और उनकी संगिनी चौदह (14) हज़ार राजपूत वीरांगना, पन्ना जी धाय, महारानी सारन्धा, रानि करमवती, रानी लक्ष्मीबाई जिन्हें इतिहास झांसी की रानी के नाम से जानता है, आदि के बलिदान, भारतीय नारी के अनुपम देश-प्रेम का स्मरण कराते रहेंगे।

गृहिणी की छवि में रहते हुए पतिव्रत धर्म को पालन करने के लिये उसने बड़े से बड़े कष्टों को सहा और अपने निश्छल प्रेम में भी कोई अन्तर नहीं आने दिया। 

राज्य को लात मारकर तथा स्वयं को बेचकर पतिॠण चुकाने वाली
महारानी शैव्या, वन में सोती हुई  को अकेली छोड़ जाने वाले महाराज नल को अपने कौशल से पुनः प्राप्त करने वाली श्रीमती दमयन्ती, यम के बन्धनोंं से भी पति को छुड़ा लाने वाली श्रीमती सावित्री, पति के अपमान के कारण पिता के यज्ञ में अपना शरीर होम देने वाली श्रीमती सती, कोढ़ी ब्राह्मण कि पतिव्रता पत्नी जो पति की इच्छा को पूरा करने के लिये उसे वेश्या के पास ले गयी थी, पतिव्रता शिरोमणि
कुष्ठी विप्र की पत्नी जिसने पति के जीवन की रक्षा के लिये सूर्य को उदित होने से भी रोक दिया और जगज्जननी माता सीता आदि के ऐसे चरित्र हैं जो संसार की स्त्रियों के लिये सदा अनुकरणीय रहेंगे।

यही नहीं भगवद् भजन द्वारा जिन्होंने सर्वशक्तिमान भगवान को अपने वशीभूत कर लिया, इसके उदाहरण स्वरूप हैं -- माता यशोदा, कौशल्या, देवकी, रोहिणी, देवहुति, शची देवी, वृज की गोपियां, मीरा बाई, गंगा माता गोस्वामिनी, दुःखिनी माता, कर्माबाई आदि। 
यही नहीं,  दुनियाँ के किसी भी क्षेत्र की बात करें, चाहे वो राजनीति है, चाहे मनोरंजन, चाहे नृत्य, चाहे व्यवसाय, चाहे शिक्षा, चाहे संगीत, आदि, भारतीय नारी कहीं भी पीछे नहीं है। 
धन्य है भारत की देवियाँ! जिनकी गाथाओं से ग्रन्थ भरे पड़े हैं और जिनके चरित्र संसार की सभी स्त्रियों के लिये दीप स्तम्भ के समान हैं।

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