मंगलवार, 13 सितंबर 2016

शाश्वत शान्ति

भगवान श्रीकृष्ण के पाद्-पद्मों में पूर्ण तथा निष्कपट समर्पण ही हमें शाश्वत-शान्ति प्रदान कर सकता है। 

वैसे यह जगत् शान्ति का स्थान नहीं है। कोई भी भौतिक अहंकार व वासनाओं के द्वारा दुनियाँ में शान्ति प्राप्त नहीं कर सकता।

यदि हम शान्ति चाहते हैं तो हमें इस भौतिक जगत से ऊपर उठना होगा। एक पूर्ण शरणागत जीव की अपनी कोई इच्छा नहीं होती।

परम मंगलमय भगवान की इच्छा से जो कुछ भी होता है, वह सब के लिए मंगल-दायक होता है। हम अपने ही कर्मों का फल भोग करते हैं। अपने कष्टों के लिये दूसरों को दोषी समझना गलत है। वे निमित्त हो सकते हैं,
परन्तु कारण नहीं। 

 -- श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी।

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