रविवार, 23 अक्तूबर 2016

श्रीराधा कुण्ड

भजन स्थानों में श्रीराधाकुण्ड ही सर्वश्रेष्ठ है। श्रीकृष्ण प्रकट के हेतु ऐशवर्यमय परव्योम वैकुण्ठ से मथुरा श्रेष्ठ है। मथुरा मण्डल में रासोत्सव का हेतु वृन्दावन श्रेष्ठ है तथा चुंकि श्रीगोवर्धन उदारपाणि श्रीकृष्ण के नाना प्रकार रमणस्थल हैं इसलिय व्रज में गोवर्धन श्रेष्ठ है और श्रीगोवर्धन के निकट ही श्रीमद् राधा कुण्ड विराजमान है। वहाँ पर श्रीकृष्ण के प्रेमामृत का विशेष आप्लावन है इसलिये राधाकुण्ड ही सर्वश्रेष्ठ है। 

कालक्रम में श्याम कुण्ड और राधा कुण्ड दोनों ही लुप्त हो गये थे परन्तु सर्वज्ञ चूड़ामणि श्रीमन्महाप्रभु जी ने द्वादशवन भ्रमण लीला करते समय जब अरिष्ट ग्राम में शुभागमन किया तो वहीं श्याम कुण्ड व राधा कुण्ड का प्रकट किया था। बाह्यदर्शन से उस समय श्याम कुण्ड - राधा कुण्ड दोनों धान के खेत के रूप में परिणित हो चुके थे। भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने दोनों धान के खेतों के थोड़े से जल में स्नान किया
और कुण्ड क स्तव करने लगे। ग्रामवासी उक्त दोनों धान के खेतों को काली और गौरी के नाम से कहते आ रहे थे लेकिन दोनों का नाम काली और गौरी क्यों है - ये वे नहीं जानते थे। जब श्रीमन्महाप्रभु जी ने दोनों खेतों के स्वरूप को प्रकट किया तो ग्रामवासियों को मालूम पड़ा कि ये श्याम कुण्ड और राधा कुण्ड हैं। भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी द्वारा श्यामकुण्ड और राधाकुण्ड प्रकट किये जाने पर भी उनका अभी जैसा पक्का घाट नहीं था। श्रीमन्महाप्रभु के पार्षद श्रीलरघुनाथ दास गोस्वामी द्वारा दोनों कुण्डों का संस्कार और पक्के घाट बनवाये गये। 
राधा कुण्ड के तीर के उत्तर दिशा से वायुकोण तक ललिता, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, चम्पकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी - इन आठ सखियों के अपने-अपने प्रसिद्ध कुन्ज हैं। श्रीराधा कुण्ड के तीर पर आठ कुन्जों में से उत्तरी भाग में अवस्थित ललिता कुन्ज के अन्तर्गत श्रीस्वानन्दसुखदकुन्ज है - जहाँ पर रहते हुये श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद जी ने भजन लीला का प्रदर्शन किया था।                                                                       

श्रीगौड़ीय वैष्णव सिद्धान्त के मतानुसार श्रीराधाकुण्ड में श्रीराधागोविन्द जी की माध्यह्निक लीला ही सर्वोत्तम है। जबकि निम्बार्की राधागोविन्द जी की रात्रि लीला को सर्वोत्तम कहते हैं। मध्याह्न लीला की परम चमत्कारिता को वे समझ नहीं पाते। 

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