भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में, ब्रज में जो 'कलावती' हैं, वे श्री गौर लीला में 'श्रीगोविन्द घोष' हैं ।
आप बहुत ही सुन्दर कीर्तन करते थे।
आप भगबान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के साथ श्रीवास आँगन, काज़ी को दलने वाले दिन में नगर-संकीर्तन में भी थे।
आपने श्रीमन्महाप्रभु जी के निर्देश पर कृष्ण-शिला से अग्रद्वीप में
श्रीगोपीनाथ जी का विग्रह (मूर्ति) प्रकट की थी।
जब आपकी स्त्री व पुत्र स्वधाम को चले गये तो आप बहुत चिन्तित हुए कि आपकी मृत्यु के बाद आपका पिण्ड-दान कौन करेगा? इसी चिन्ता में आप सो गये। उसी रात श्रीगोपीनाथ जी आपके स्वप्न में आये और कहा -- आप चिन्ता ना करें, मैं पिण्ड दूँगा।
आज भी श्रीगोविन्द घोष ठाकुर जी की अप्रकट तिथि में श्रीगोपीनाथ जी पिण्ड-दान करते हैं।
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